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महिला बाल विकास विभाग में भर्ती व पोस्टिंग पर बवाल Mahila Supervisor Bharti 2023-24


महिला बाल विकास विभाग में भर्ती व पोस्टिंग पर बवाल Mahila Supervisor Bharti 2023-24



छत्तीसगढ़ महिला बाल विकास विभाग में बवाल:-
राज्य शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग ने 27 दिसंबर बुधवार को 428 पर्यवेक्षकों की नियुक्ति आदेश जारी किया है। यह आदेश संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग के हस्ताक्षर से जारी हुआ है। जारी आदेश को लेकर बवाल मच गया है, दरअसल इस आदेश में विशेष सचिव,मंत्री महिला एवं बाल विकास विभाग को भी प्रतिलिपि भेजी गई है, जबकि बुधवार की स्थिति में नई सरकार मैं अभी मंत्रियों का बंटवारा नहीं हुआ है। और सभी विभाग मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के प्रभार में हैं। लिहाजा इस आदेश को मंत्रालय बिजनेस रूल के खिलाफ बताया जा रहा है। वहीं विभाग के अफसरों  की मनमानी का आरोप भी लगाया जा रहा है। पहले आदेश में 205 पर्यवेक्षकों, और दूसरे में 13 पर्यवेक्षक (दिव्यांग) तीसरे में 199 पर्यवेक्षक और चौथे आदेश में 11 पर्यवेक्षक दिव्यांग की पद स्थापना की गई है। इन आदेश में उल्लेखित किया गया है कि विभाग के रिक्त पदों पर व्यावसायिक परीक्षा मंडल व्यापम द्वारा भर्ती परीक्षा 2023 के अंतर्गत प्रवीण्य सूची के अभिलेख सत्यापन में उपयुक्त पाए गए जानकारी सूत्रों का कहना है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के इस आदेश पर अधिकारियों ने खुलकर मनमानी की है।





मंत्री जी के विशेष सचिव को भेजी गई प्रतिलिपि:-इसी तरह जारी आदेश में 11 लोगों को प्रतिलिपि भेजी गई है, जिसमें विभागीय मंत्री विशेष सचिव महिला बाल विकास विभाग का नाम का पहला क्रम में उल्लेख है। जबकि नई सरकार विष्णु देव साय अब तक महिला एवं बाल विकास विभाग के मंत्री कौन है? किसी को नहीं मालूम है, क्योंकि अभी तक मंत्रियों के विभाग का बंटवारा नहीं हुआ है। इस लिहाज से सभी प्रकार की प्रभार मुख्यमंत्री के पास नहीं है। इससे यह प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री के अनुमोदन के लिए पदस्थापना आदेश जारी किया गया है।





पदस्थापना आदेश में भ्रष्टाचार का आरोप जांच की मांग :- अभ्यर्थियों का आरोप है कि यदि पूर्ववर्ती सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्री से अनुमोदन लिया गया है, तो अनुमोदन की 24 घंटे के भीतर आदेश जारी करना चाहिए था। लेकिन इसे नई सरकार में आदेश को जारी किया गया है, जिसे भ्रष्टाचार की बू आ रही है, वही श्रुटिपूर्ण आदेश को लेकर जांच कराने की जरूरत है। अभ्यर्थियों की मांग है की पूरी प्रक्रिया की नई सिरे से जांच की जरूरत है, क्योंकि इसमें प्रवीण्यसूची के अभ्यर्थियों के मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है।

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